The Rest Frame
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After Spring

पौधों से फूल अब झड़ने लगें हैं रंग वसंत के फीके पड़ने लगें हैं ताज़ूब ए रंग ओ बहार अब उतना नहीं रहा शायद खूबसूरत ये संसार अब उतना नहीं रहा। चेहरे पर चुभती है चिलचिलाती धूप क्या पसंद आता है कुदरत...

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Jabr ka Gawah

किसी की बेख़बरी को नादानी समझा जाता है तो कोई लापरवाह हो जाता है अगर आप करें ग़लती तो माफ हो जाती है अगर हम करें तो गुनाह हो जाता है। आधी रात को आते हैं फतवे आपके  जो रात कर देते हैं हराम बची हु...