The Rest Frame
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Taaron Ke Shahar | Random Rhymes #4

आ ले चलें तुम्हें तारों को शहर में  नाम है मेरा आवरों के शहर में  IIT में आने का इतना फायदा है,  रुतबा है मेरा बेरोजगारों के शहर में  अब मुझे ग्वारों के गांव जाना है  क्या काम रह गया मेरा समझदारो...

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पट नहीं रही है | Random Rhymes #3

सुघटना कोई घट नहीं रही है लड़की कोई पट नहीं रही है दिन-ब-दिन बढ़ रही बैचैनी परेशानियां घट नहीं रही है सर पर लटकी तलवार है बर्बादी की, हट नहीं रही है पीठ फेरकर खड़ी हैं खुशियां आवाज़ दो पलट...