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Khuda Ka Banda

कोई शुक्रिया कहता है सुख में
कोई याद मोहम्मद को करता मुश्क़िल में
लेकिन कहीं ना कहीं
भगवान बसते है सबके दिल में।
किसी पर 
जिंदगी का बोझा है, 
कोई इसे हँसकर काटता है 
कोई सुख दुःख अकेले ढोता है 
कोई खुशियां आँसू बाँटता है। 
सुख के चक्कर में दुःख भोगना 
इन्सान का काम पसंदीदा है 
चाहे अच्छा है या बुरा है
हर इन्सान खुदा का बन्दा है।

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कई बार किसी मोड़ पर
इन्सान खुदा से रूठ जाता है
पर समय जब सही आता है
उसका ये भ्रम भी टूट जाता है।
सबकी अपनी अलग सोच है
सबका अपना अलग धंधा है।
चाहे अच्छा है या बुरा है
हर इन्सान खुदा का बन्दा है।

गुनाह तो इस कलियुग में
कभी ना कभी हो ही जाता है
देर तब तक ना हो जाए
जब तक ये समझ में आता है।
अच्छे बुरे का जब संतुलन है
इसलिए ये संसार जिंदा है,
चाहे अच्छा है या बुरा है
हर इन्सान खुदा का बन्दा है।

खुदा जाने कितना मुश्किल है
दर्द दिल का बता पाना
लेकिन एक अंजाम तय है
आखिर में खुदा के घर जाना।
ये समझ कर चलने वाले
इस दुनिया में बस चुनिंदा है
चाहे अच्छा है या बुरा है
हर इन्सान खुदा का बन्दा है।

इंसान खुद नहीं करता बुरे काम
उसमे बैठा रखा राक्षस करवाता है
लेकिन जब उसे ये समझ मे आता है
फिर वो भी अंतर्मन से पछताता है।
तब जाकर उसे समझ में आता है
उसका जीवन कितना गंदा है
चाहे अच्छा है या बुरा है
हर इन्सान खुदा का बन्दा है।

इन्सान में इंसानियत देखो और
सीखो हर किसी को माफ़ करना
खुदा ने हमें बनाया है तो
बस उसका ही काम इन्साफ़ करना।
इन्सान होते है वो लोग भी
जिनकी परिभाषा में ही दरिन्दा है
चाहे अच्छा है या बुरा है
हर इन्सान खुदा का बन्दा है।

~श्याम सुन्दर

This post is licensed under CC BY 4.0 by the author.