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gazal ‎

 

आस्था को रक्त की हसरत क्यूँ
इंसान को इंसान से नफरत क्यूँ

जब खुदा एक है तरीके अलग
धर्म के अपमान की जुर्रत क्यूँ

इंसान में इंसानियत नहीं रही
पर हैवानियत की कसरत क्यूँ

मिल कर रहने से होता है भला
फिर ना मिलने की फितरत क्यूँ

जो मन से माने वो ही तो है धर्म
‘श्याम’ फिर प्रचार की जरूरत क्यूँ?

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