FARQ Hai
फ़र्क
तुझमें और मुझमें फ़र्क़ है
वही भेद जो है
गाँव और शहर में
मकान और घर में,
ताजे और थैली के दूध में
गद्दे और मंजे के सूत में,
पार्क की हरियाली और खेत में
समुद्र तट और धोरों की रेत में,
ऐ सी रूम की छत और खुले आकाश में
सी एफ एल की लाइट और सूर्य के प्रकाश में,
पी डी ऍफ़ डॉक्यूमेंट और किताब में
अंग्रेजी वाइन और हथकढी शराब में,
फेसबुक फ्रेंड और बचपन के साथी में
सेल्फी स्टिक और बाँस की लाठी में,
एल पी जी गैस और चूल्हे की लकड़ी में
सोनम बाजवा के डॉगी व काली कुतङी में,
जिम और जमीनदारे में,
हल और हजारे में।
और ये फर्क तब तक रहेगा जब तक
गाँवों में बिजली जाती रहेगी
कलम की स्याही आती रहेगी
सरपंच न्यायाधीश बनते रहेंगे
खानादबोश नेता चुनते रहेंगे।
ये फर्क़ उस दिन खत्म होगा जब
अमीर घर में गरीब का हो आदर
दाम और भाव हो जाये बराबर
कर्ज माफ़ी का वादा हो जाये पूरा
नेता को सताए जनता का डर।
~Shyam Sunder
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