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Ek Safar

अनोखा सफर



बुलाया मित्र ने अपने घर पर
तब हम निकले सफर पर 
खुली हवा को गए थे तरस से
अब मौका मिला जाने को बस से।
बस चलती ‌चलती अचानक से रुक गई 
गिरी नहीं थोड़ा सा झुक गई 
बस का एक हिस्सा सड़क से फिसल गया
नीचे उतरे तो पता चला एक टायर निकल गया
निकला ही नहीं 100 मीटर आगे चला गया 
हमने शुक्राने किए जान बची सो भला हुआ।

फ़िर हम दूसरी बस पर चढ़े
डरते-डरते आगे बढे
अगले स्टेशन पर खुद को संभाला
तब हमें मिला एक बाईक वाला।
बाईक वाले के साथ में ग़ज़ब कटा सफर 
पता ही नहीं चला कब आ गया शहर,
तुम्हारे साथ ये दिन अच्छा रहा
यह कहकर हमने उसे विदा कहा।

उसके शहर से गांव की बस पूछी जब कहीं 
तो पता चला उसके गांव बस जाती ही नहीं 
अब मिलने वाली थी हमें गजब सवारी मगर 
आगे का रास्ता तय करना था ऊण्ट गाड़ी पर।
हालांकि भैया ऊण्ट थोड़ा मंद था 
ठंडी हवा चल रही थी आनंद ही आनंद था।
गांव पहुंचे तो मित्र इंतजार करते हमें मिले 
हृदय से अभिवादन किया और हमें लगाया गले 
वह सफर आज तक का सबसे अनोखा सफर 
जब अज़ीज़ मित्र ने बुलाया हमें अपने घर।

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