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Ek Geet Likhu

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एक गीत लिखूँ और तेरे नाम करूँ,
शब्दों में छंदो में, तुम्हारा ध्यान धरूँ;
खुद को मनाऊँ अपना सम्मान करूँ
एक गीत लिखूँ और तेरे नाम करूँ।

विश्वास का विष तेरे हाथों से पीकर
मरना बेहतर जाना  इश्क़ में जीकर।
दिल तेरी विषशाला, एक जाम भरूँ
एक गीत लिखूं और तेरे नाम करूँ।

देखकर तेरी सादगी खुद जैसा माना
अब समझ आया गलत था पहचाना;
अब नहीं दिल चाहता तुम्हें याद करूँ
एक गीत लिखूं और तेरे नाम करूँ ।

तुझे लेकर मेंने खुद से ज़बर्दस्ती की 
‘श्याम’ की दुनिया फकीरी -मस्ती की;
यहाँ वापस आया ना प्रस्थान करूं 
एक गीत लिखूं और तेरे नाम कर दूँ।


~Shyam Sunder

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