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भगवान के घर देर है अंधेर नहीं Bhagwan Ke Ghar

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ग़ज़ल
पीठ पर वार  करने वालों की ख़ैर नहीं
ख़ंज़र लेकर खङे अपने ही है ग़ैर नहीं;

जाने किस बात को लेकर अदावत थी
हमने सोचा हमारा तुमसे कोई वैर नहीं;

मारा नहीं मुझे बस अधमरा छोङ दिया
सच विश्वासघात से बङा कोई ज़ैर नहीं;

ऐसा करके  महान मत समझो ख़ुद को
मरा हुआ शिकार गीदड़ खाते शेर नहीं;

‘श्याम’ ने अपनी डोर ख़ुदा पर छोड़ दी
क्योंकि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं।


~श्याम सुन्दर

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